वीर्य बनने कि प्रक्रिया
सबसे पहले जो भोजन हम लोग करते हैं वह पचता है, उसके बाद पहले उसका रस बनता है फिर 5 दिनों तक उसका पाचन होकर रक्त बनता है फिर 5-5 दिनों के अंतराल पर रक्त से मांस क्रमशः मांस से मेद मेद से हड्डी, हड्डी से मज्जा और मज्जा से अंत में वीर्य बनता है/
स्त्री में ये जो धातु बनती है उसे रज कहते हैं इस प्रकार वीर्य बनने में करीब 40 दिन का समय लगता है वैज्ञानिक बताते हैं कि 32 किलो भोजन से लगभग 800 ग्राम से लेकर 1 लीटर तक रक्त बनता है और इस 800 ग्राम से 1 लीटर रक्त के लगभग 20 से 30 ग्राम वीर्य बनता है/
आकर्षक व्यक्तित्व का कारण
जैसा कि जानते हैं कि वीर्य संचय से शरीर में अद्भुत आकर्षण शक्ति उत्पन्न होती है जिसे प्राचीन वेद धनवंतरी ने "ओज" कहा था/ यही मनुष्य को आत्म दर्शन कराने में सहायक होती है/ यदि किसी के जीवन में कुछ विशेषता, चेहरे पर तेज, वाणी में बल, कार्य में उत्साह पाया जाता है, तो यह वीर्यरक्षण का ही चमत्कार होता है/
एक स्वस्थ मनुष्य 1 दिन में 800 ग्राम तक भोजन के हिसाब से 40 दिन में 32 किलो भोजन करें तब जाकर उसकी कमाई 20 ग्राम वीर्य होगी. जबकि एक बार में 15 -20 ग्राम या इससे कुछ अधिक वीर्य एक बार के मैथुन में खर्च हो जाता है.
अब आप ही बताये कि क्या व्यर्थ में वीर्य को बर्बाद करना उचित है ?
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