जॉन अब्राहम की नई फिल्म “परमाणु : द स्टोरी ऑफ पोखरण” 25 मई 2018 को रिलीज़ हो रही है. यह फिल्म भारतीय सेना के उस न्यूक्लियर टेस्ट पर आधारित है, जिसे राजस्थान के पोखरण में 11 मई 1998 में किया गया था. 11 मई 2018 को इसकी 20वीं सालगिरह पर इस फिल्म का ट्रेलर रिलीज किया गया था.
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| parmanu the story of pokhran full movie |
फिल्म कि कहानी:-
यह फिल्म इंडिया के दूसरे न्यूक्लियर टेस्ट की है. भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण 1974 में राजस्थान
के पोखरणमें किया था उस समय इस मिशन का कोड नेम “ स्माइलिंग बुद्धा” था. लगभग इसके दो दशक
बाद बहुत से देशों के पास परमाणु बम की ताकत बढ़ती चली गई, तब भारत के वैज्ञानिकों ने भी तय किया कि
उन्हें भी परमाणु बम बनाने चाहिएलेकिन अमेरिका जैसे देश जो खुद तो अनगिनत परमाणु बम बना कर बैठे हैं,
नहीं चाहते कि भारत जैसे दूसरे देश न्यूक्लियरपावर बने इसलिए अमेरिका बाकी देशों की तरह भारत पर भी
अपने सेटेलाइट आई इन द स्काई से नजर रख रहा था .यह फिल्म भारत के 11 मई 1998 में हुई परमाणु
परिक्षण कि स्टोरी को पर्दे पर ला रही है. अमेरिका अब तक 1000 से भी ज्यादा परमाणु बम का परीक्षण कर
चुका है और इसी तरह चीन ने भी 45 से ज्यादे परमाणु परिक्षण किये हैं अब तक जिसके दम पर चीन ने भारत
को 1962 में हरा दिया था, इसी को देखते हुए भारत भी न्यूक्लियर पावर बनना चाहता है जब यह बात अमेरिका को पता चला
तो उसने भारत को ऐसा करने से साफ़ मना कर दिया .
अमेरिका के मना करने बावजूद भारत गुपचुप तरीके न्यूक्लियर टेस्ट से करने जा रहा है, इस मिशन में 6
अफसर चुने जाते हैं परीक्षण की तैयारी राजस्थान के जैसलमेर पोखरण फोर्ट में कि जाता है, यहाँ 6 अफसर
पुरातत्व विभाग के अधिकारी बनकर जाते हैं. जिस दिन न्यूक्लियर टेस्ट होना होता है उस दिन उन्हें मात्र 30
मिनट का समय दिया जाता है इतने कम समय में न्यूक्लियर टेस्ट करने होते हैं, यह कैसे होता है ?, और इसमें
क्या-क्या अरचन आती है ? दिखती है इस फिल्म में.
यह एक बहुत ही अच्छी देशभक्ति पर आधारित फिल्म है आपको इस फिल्म को एक बार अवश्य ही देखना चाहिए.
तब जाकर आपको यह पता चलेगा कि हमारा देश कितनी ही परेशानियों को झेलकर एक परमाणु संपन्न राष्ट्र बना
है और तब जाकर दुनिया ने भारत के वैज्ञानिकों का लोहा माना है कि सीमित संसाधन में भी हमारा देश भारत
आगे बढ़ सकता है.

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