नासा और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी
वाशिंगटन, जैसा कि हम लोग जानते हैं कि पृथ्वी के अतिरिक्त किसी अन्य मंडल में किसी प्राणी का जीवित रहना संभव नहीं है. दुनिया के बहुत सारे वैज्ञानिकों ने अपने रिसर्च में यह बताया है कि अभी तक पृथ्वी के अतिरिक्त किसी भी अन्य सौरमंडल के ग्रहों में जीवन संभव नहीं है. अभी भी बहुत सारे वैज्ञानिक पृथ्वी के बाहर जीवन की संभावनाओं को ढूंढने में लगे हुए हैं और आए दिन इसके बारे में कुछ ना कुछ रिसर्च आते ही रहते हैं. अब अमेरिका के सबसे प्रतिष्ठित अंतरिक्ष संस्था नासा और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अपने एक अध्ययन में दावा किया है कि एक महत्वपूर्ण सामग्री ‘सिलिका एयरोजेल’ द्वारा मंगल ग्रह को इंसानों के रहने योग्य बनाया जा सकता है.
‘सिलिका एयरोजेल’ यह एक ऐसी सामग्री है जो पृथ्वी के वायुमंडल की तरह ही अन्य ग्रीन हाउस प्रभाव से लोगों को बचा सकती है. वैज्ञानिकों ने अपने शोध में यह उम्मीद जताया है कि उनके द्वारा किया गया यह रिसर्च मंगल ग्रह पर जीवन की संभावनाएं खोजने में एक बड़ा महत्वपूर्ण कदम साबित होगी. सबसे पहले कार्ल सागन नामक के एक वैज्ञानिक ने अपने एक थ्योरी के माध्यम से यह दावा किया था कि पृथ्वी के अलावा सौर मंडल के अन्य ग्रहों पर भी जीवन संभव हो सकता है, उनके यह कथन के बाद से ही अन्य वैज्ञानिक भी दूसरे ग्रहों पर जीवन की संभावनाएं तलाशने में जुटे हुए हैं.
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| Mars planet red planet surface |
क्या आप मंगल को अच्छे से जानते हैं
आपने
मंगल ग्रह के बारे में जरुर पढ़ा होगा कि पृथ्वी की तरह मंगल पर भी मानव जीवन होने
की संभावना है. परन्तु आज आप इससे भी बहुत मजेदार तथ्य के बारे में जानेंगे.
1. हमारे
सौर्यमंडल में मंगल ग्रह सूर्य से 14.2 करोड़ मील की दूरी पर स्थित है अर्थात यह
सूर्य से चौथे स्थान पर स्थित ग्रह है.
2. मंगल
का व्यास पृथ्वी की तुलना में आधी है. जहाँ मंगल का व्यास 4,220 मील है वहीँ
पृथ्वी का व्यास 7,926 मील है. परन्तु भार के मामले में मंगल पृथ्वी के दसवें भाग
के बराबर है.
3. मंगल
को सूर्य का एक चक्कर लगाने में कुल 687 दिनों का वक्त लगता है जो कि पृथ्वी की
तुलना में दोगुनी है क्योंकि पृथ्वी को सूर्य का एक चक्कर लगाने में कुल 365 या
366 दिनों का वक्त लगता है. यहाँ का एक साल कुल 687 दिनों का होता है. यहाँ पर एक
दिन 24 घंटे 37 मिनट का होता है जिसे सोलर डे के नाम से भी जाना जाता है.
4. पृथ्वी
और मंगल ग्रह कि गुरुत्वाकर्षण शक्ति अलग-अलग होने के कारण ही धरती पर 100 पौंड
भार वाले व्यक्ति का वजन मंगल पर लगभग 37 पौंड होगा.
5.
मंगल के पास अपना दो उपग्रह हैं फोबोस और डेमियोस. फोबोस का व्यास 13.8 मील है. और
डेमियोस का व्यास 7.8 मील है. फोबोस उपग्रह मंगल की सतह से सिर्फ 6 हजार
किलोमीटर उपर परिक्रमा करता है.
6.फोबोस
उपग्रह हर 100 साल में धीरे-धीरे मंगल की ओर 1.8 मीटर तक झुक जाता है. अनुमान यह
भी है कि आने वाले अगले 5 करोड़ साल में फोबोस उपग्रह या तो मंगल से टकरा जायेगा
यार फिर टूट कर मंगल के चारों तरह एक रिंग बना लेगा.
7. पृथ्वी और मंगल दो साल में एक-दुसरे के सबसे
नजदीक होते हैं और इन दोनों के बीच की दूरी मात्र 5 करोड़ 60 लाख किलोमीटर का रह
जाता है. पृथ्वी की तरह मंगल पर भी वर्ष में चार मौसम होते हैं- शीत, शरद, ग्रीष्म
और पतझड़ परन्तु इन मौसमों का वक्त पृथ्वी की तुलना में लगभग दोगुने होता है.
8. मंगल का अध्यन करने वाले वैज्ञानिकों का यह
मत है कि लगभग 3.5 अरब साल पूर्व यहाँ पर भयंकर बाढ़ आई थी. परन्तु अभी तक इस बात
की पुष्टि नहीं हो सकी है कि वह पानी कहाँ से आया और कहाँ गायब हो गया. वैज्ञानिकों
के अनुसार यहाँ पानी बर्फ के रूप में धुर्वों पर मिलते हैं और यह कल्पना की जाती
है कि जो मंगल के दुसरे इलाकों में बहता है. मंगल एक रेगिस्तान की तरह है जहाँ
जाने के लिए प्रचुर मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है.
9. यहाँ पर हमेशा धूल भरी आंधी-तूफान आते ही रहते
हैं और कभी-कभी ये तूफान समूचे मंगल को भी ढक लेते हैं. यहाँ पर वायुमंडलीय दबाब
पृथ्वी की तुलना में बहुत कम है इसलिए यहाँ जीवन का होना कठिन है.
10. यहाँ के वायुमंडल में विभिन्न तत्व पाये जाते
हैं- कार्बन डाई ऑक्साइड 96%, नाईट्रोजन 2%, आर्गन 1.93% ओक्सिजन 0.14%. इसके
अलावे यहाँ कार्बन मोनो ऑक्साइड के भी होने के प्रमाण मिले हैं.
11. मंगल ग्रह का तापमान बहुत अधिक और बहुत कम भी
हो जाता है. गर्मियों के दिनों में यहाँ का तापमान 30 डिग्री और जाड़े के दिनों में
यह तापमान 0 से घटकर -140 डिग्री तक हो जाती है.
12. मंगल को लाल ग्रह क्यों कहा जाता है. मंगल की
मिटटी में लौह खनिज पाया जाता है और इसमें जंग लगने की वजह से ही यहाँ की मिटटी और
वायुमंडल लाल दिखाई पड़ता है जिसके कारण मंगल को लाल ग्रह कहा जाता है.
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| Mission to mars |
NASA का मंगल मिशन Insight Lander (Interior Exploration Using Seismic Investigations, Geodesy and Heat Transport)
मंगल ग्रह की सतह का विस्तृत अध्यन करने के लिए अमेरिका
के NASA ने रोबोटिक लैंडर यान Insight
Lander (Interior
Exploration Using Seismic Investigations, Geodesy and Heat Transport) सर्वप्रथम
NASA ने मंगल मिशन को 2016 में launch करने की योजना बनाई परन्तु कुछ तकनिकी खराबी
के कारण इसे 5
मई 2018 को 11:05 UTC Atlas V-401 rocket द्वारा launch किया. यह अपने
launch के लगभग 7 महीने बाद 26 नवंबर 2018 को 19:52:59 UTC पर Elysium Planitia नमक एक सपाट मैदान में सफलतापूर्वक लैंड किया. अपनी यात्रा के दौरान
इसने कुल 483
million km की दूरी तय की. Elysium
Planitia मंगल कि भूमध्य रेखा के पास है जो लावा से बनी एक चादर जैसी
दिखती है.
NASA के मंगल मिशन Insight Lander का मुख्य उद्देश्य
मंगल ग्रह के सतह का बहुत ही बारीकी से अध्यन करके इसके बारे में अधिक से अधिक
जानकारी जुटाना है. NASA के Insight Lander प्रोजेक्ट
मैनेजर Tom
Hoffman ने बताया कि Insight Lander ने मंगल से पृथ्वी पर
सिग्नल भेजा कि वह काम करने को तैयार है और सूरज की रोशनी पाने के लिए अपने सोलर
पैनल को खोल खुद को चार्ज कर रहा है. (Source-
Internet & Wikipedia).
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| Mars Insight Lander |




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